Hot Topics

रूसी तेल पर लगाम के बाद भारत-अमेरिका रिश्तों में नई गर्माहट, शुरू होंगी व्यापार वार्ताएं

BizTalkIndia.com


व्यापार: भारत को अपने व्यापारिक हितों की रक्षा के लिए अमेरिका के साथ चल रही द्विपक्षीय व्यापार वार्ता में सतर्क रणनीति अपनानी चाहिए। ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (जीटीआरआई) ने यह सुझाव दिया है। इसमें तीन चरणों की योजना सुझाते हुए कहा गया है कि भारत को पहले प्रतिबंधित रूसी कंपनियों रोसनेफ्ट और लुकोइल से तेल आयात बंद करना चाहिए, ताकि द्वितीयक प्रतिबंधों के खतरे से बचा जा सके। 

भारत टैरिफ घटने के बाद ही कर सकता है व्यापार वार्ता 
जीटीआरआई के अनुसार, जब ये आयात पूरी तरह बंद हो जाएंगे, तो भारत को अमेरिका पर दबाव बनाना चाहिए कि वह भारतीय निर्यात पर लगाए गए दंडात्मक 25 प्रतिशत रूसी तेल टैरिफ को वापस ले। इसमें कहा गया है कि टैरिफ सामान्य होने के बाद ही व्यापार वार्ता फिर से शुरू करें और वह भी उचित व संतुलित शर्तों पर। 

रूसी कंपनियों पर लगे प्रतिबंध ने भारत के लिए स्थिति कठिन बना दी
सरकारी अधिकारियों ने 24 अक्तूबर को कहा कि भारत और अमेरिका महत्वाकांक्षी द्विपक्षीय व्यापार समझौते (बीटीए) के पहले चरण को अंतिम रूप देने के बहुत करीब हैं। हालांकि, यह प्रगति ऐसे समय हो रही है जब 22 अक्तूबर को वाशिंगटन ने रूसी कंपनियों रोसनेफ्ट और लुकोइल पर नए प्रतिबंध लगाए हैं। यह रूस के कुल कच्चे तेल उत्पादन का लगभग 57 प्रतिशत हिस्सा संभालती हैं।

इन प्रतिबंधों ने भारत के लिए स्थिति कठिन बना दी है, क्योंकि इसका असर सिर्फ व्यापार तक सीमित नहीं है, बल्कि वित्तीय और डिजिटल ढांचे तक पहुंच को भी खतरे में डाल सकता है।

अमेरिकी टैरिफ से भारतीय निर्यात में आई 37 प्रतिशत की गिरावट
अमेरिकी कदमों का असर पहले से ही दिखा है। 31 जुलाई को लगाए गए 25 प्रतिशत रूसी तेल शुल्क के बाद भारतीय वस्तुओं पर कुल शुल्क दर 50 प्रतिशत तक पहुंच गई है। इसके चलते मई से सितंबर के बीच भारतीय निर्यात में 37 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है।

वित्तीय और डिजिटल ढांचे पर पड़ सकता है असर 
जीटीआरआई ने चेतावनी दी है कि अमेरिका के रूस पर लगाए गए द्वितीयक प्रतिबंध अब भारत के लिए व्यापक खतरे पैदा कर सकते हैं। संस्था के मुताबिक, ये प्रतिबंध न केवल व्यापार बल्कि वित्तीय और डिजिटल ढांचे को भी प्रभावित कर सकते हैं। इन प्रतिबंधों के चलते भारत की SWIFT भुगतान प्रणाली तक पहुंच अवरुद्ध हो सकती है, डॉलर आधारित लेनदेन पर रोक लग सकती है और रिफाइनरी, बंदरगाहों और बैंकों से जुड़ी डिजिटल सेवाएं बाधित हो सकती हैं। रिपोर्ट के अनुसार, जहां टैरिफ सीधे निर्यातकों को नुकसान पहुंचाते हैं, वहीं प्रतिबंध पूरी प्रणाली को पंगु बना सकते हैं।

भारत को टैरिफ को 15 प्रतिशत तक लाने का लक्ष्य रखना चाहिए
इसमें यह भी सुझाव दिया कि भारत को यूरोपीय संघ जैसे प्रमुख साझेदारों के समान स्तर हासिल करने की कोशिश करनी चाहिए, यानी औसत औद्योगिक शुल्क को लगभग 15 प्रतिशत तक लाने और कपड़ा, रत्न-आभूषण और फार्मास्यूटिकल्स जैसे प्रमुख क्षेत्रों को ड्यूटी-फ्री पहुंच देने का लक्ष्य रखना चाहिए।

Tags :

bigsoftcompany

https://biztalkindia.com

Recent News