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सबसे अनदेखा सरकारी एसेट, जानिए किसके लिए बन सकता है गेम चेंजर

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व्यापार: प्रोविडेंट फंड (पीएफ) को अक्सर उबाऊ और कमतर इन्‍वेस्‍टमेंट इंस्‍ट्रूमेंट माना जाता है। लेकिन, अब फिनफ्लुएंसर शरण हेगड़े ने बड़ा दावा किया है। उन्होंने 30% टैक्स ब्रैकेट वाले हाई इनकम क्लास के लोगों के लिए पीएफ को एक तरह का वरदान करार दिया है। उनके मुताबिक, ज्‍यादा कमाई करने वालों के लिए पीएफ अक्सर इक्विटी (शेयर) से बेहतर साबित होता है। खासकर टैक्स के बाद। शरण हेगड़े ने सोशल मीडिया प्‍लेटफॉर्म ‘एक्‍स’ पर इसे लेकर अपनी राय साझा की है। उन्‍होंने इसे सबसे स्मार्ट ‘डेट’ निवेश में से एक बताया है। हेगड़े ने 1 लाख रुपये की मासिक बेसिक सैलरी वाले दो लोगों की तुलना की। एक ने पीएफ में पूरी रकम निवेश की। जबकि दूसरे ने टैक्स के बाद बची हुई रकम इक्विटी यानी शेयर में लगाई।

एक्‍सपर्ट ने बताया कि एक शख्‍स (जो पीएफ में पूरी राशि निवेश करते हैं) हर महीने 12,000 रुपये देते हैं। कंपनी भी 12,000 रुपये देती है। यह कुल 24,000 रुपये हर महीने बिना किसी जोखिम के निवेश हो जाता है। इस पर टैक्स भी नहीं लगता। वहीं, उसका ‘दोस्त’ (जो इक्विटी में निवेश करता है) 30% टैक्स कटने के बाद 20,256 रुपये हर महीने निवेश कर पाता है। इस दोस्त को पीएफ के बराबर रिटर्न पाने के लिए इक्विटी में सालाना 12% का रिटर्न चाहिए।

दोनों के र‍िटर्न में 5 साल बाद फर्क
पांच साल बाद पीएफ में निवेश करने वाले के पास 17.75 लाख रुपये होंगे। यह टैक्स-फ्री है। दूसरी ओर, इक्विटी में निवेश करने वाले के पास कैपिटल गेन टैक्स कटने के बाद 16.13 लाख रुपये बचेंगे। हेगड़े ने कहा, ‘ज्‍यादातर एसेट्स लगातार इतने जोखिम-मुक्त रिटर्न नहीं दे पाते।’ उन्होंने यह भी बताया कि पीएफ से बेहतर प्रदर्शन करने के लिए इक्विटी को 5 साल में लगातार 16% का सालाना रिटर्न देना होगा। अगर निवेश की अवधि 20 साल कर दी जाए तो भी इक्विटी को पीएफ से आगे निकलने के लिए 10.35% का सालाना रिटर्न चाहिए।

यह रणनीति उन लोगों के लिए सबसे अच्छी है जो 30% टैक्स ब्रैकेट में आते हैं, जिन्हें जल्दी पैसों की जरूरत नहीं है। साथ ही जो गारंटीड रिटर्न पसंद करते हैं। अगर आप कम टैक्स ब्रैकेट में हैं तो पीएफ के टैक्स फायदे उतने खास नहीं हैं। ऐसे में हेगड़े की सलाह है, ‘पीएफ में बस न्यूनतम योगदान करें और बाकी पैसा अपने पास रखें।’

कम आंका जाने वाला है इन्‍वेस्‍टमेंट
एक और जरूरी बात यह है कि अगर कर्मचारी अपना पीएफ योगदान बढ़ाता है तो कंपनी का योगदान भी अपने आप बढ़ जाता है। हेगड़े ने समझाया, ‘आप सिर्फ एक तरफ नहीं बढ़ा सकते। दोनों साथ-साथ बढ़ते हैं।’

हालांकि, पीएफ से बहुत ज्‍यादा रिटर्न की उम्मीद नहीं की जा सकती। हेगड़े का मानना है कि यह आज के समय में ज्‍यादा कमाई करने वालों के लिए सबसे कम आंका गया डेट इन्वेस्टमेंट है। उन्होंने कहा कि यह एसेट क्लास टैक्स बचाने और महंगाई को मात देने वाला, जोखिम-मुक्त रिटर्न देता है।

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